भगवान के हृदय का स्वरूप है भागवत : चन्द्रशेखर महाराज

 

श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिवस रामनगर छेत्र के ग्राम कटियारा देवली मंदिर परिसर में आयोजित नौ दिवसीय में कथावाचक चन्द्रशेखर जी महराज ने कहा कि भागवत भगवान के हृदय का स्वरूप है. भगवान को प्राप्त करने के लिए मन का निर्मल होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि भाग्य से भागवत कथा का श्रवण करने का मौका मिलता है जो भागवत कथा सुनते हैं वे भाग्यशाली हैं भागवत की कथा के लिए किसी आमंत्रण की जरूरत नहीं है सांसारिक कार्य करते हुए प्रभु का ध्यान और चिंतन करें प्रभु से अपना संबंध बनाएं तो जीवन को मोक्ष मिलेगा. मोह में फंसे व्यक्ति का मन भगवान की भक्ति में नहीं लगता है भागवत अमृत समान है. भागवत का श्रवण करने मात्र से जीवन पवित्र हो जाता है वह जीवन ही बेकार जिसमें भगवान की भक्ति ना हो. मनुष्य का जन्म मिला है तो भगवान की भक्ति करें भगवान के नाम का भजन करने से जीवन को मुक्ति मिलती है.धर्म.गौ माता.साधु संतों की रक्षा के लिए भगवान जन्म लेते हैं. उन्होंने कहा कि धन कमाना बुरी बात नही है परंतु अनिति और अधर्म से धन कमाना बुरी बात है इस अवसर पर सन्तसरन वर्मा धीरेन्द्र वर्मा संजय कुमार गौतम राजमल वर्मा आदि तमाम भक्तगण उपस्थित रहे

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