सड़कों पर बेखौफ होकर दौड़ रहे प्रतिबंधित लकड़ी से भरे ट्रैक्टर ट्राली

 

आखिर क्यों नहीं इन हरियाली के कातिलों को किसी का भी भय ?

आदर्श उजाला ब्यूरो, पीलीभीत।
यूपी सरकार हर वर्ष वृक्षारोपण पर लाखों रुपए खर्च कर रही है। सरकार की ओर से भले ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर तमाम प्रयास किए जा रहे, लेकिन धरातल हकीकत इसके परे है। वही वनों के संरक्षण पर लाखों रुपये हर साल व्यय हो रहे हैं, इसके बाद भी जंगलों में खडे़ हरे पेड़ों को बचाना मुश्किल हो रहा है। इसकी प्रमुख वजह विभागीय कर्मियों के अपने दायित्वों के प्रति सजग न होना है। इसका अनुचित फायदा लकड़ी कारोबारी उठा रहे हैं। सड़को पर रोज सैकड़ों ट्रैक्टर ट्रॉलीयां अवैध रूप से परिवहन करके लकड़ियां ट्रैक्टर ट्राली में भरकर ले जा रहे हैं। लेकिन इसको लेकर संबंधित अधिकारी कर्मचारी आंख मूंदे हुए हैं। वही बृहस्पतिवार को कलीनगर क्षेत्र से अवैध कटान कर लकड़ी को पूरनपुर लाकर ठिकाने लगा दिया जाता है। जिसके वीडियो व फोटो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इससे वन विभाग और पुलिस पर भी सवाल उठ रहे हैं। पूरनपुर और कलीनगर तहसील क्षेत्र में प्रतिबंधित पेड़ों के अवैध कटान का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। बृहस्पतिवार को आम के पेड़ों का बगैर परमिशन के कटान किया गया। मिली भगत के चलते लकड़ी ठेकेदार काटी गई लकड़ी को ट्रैक्टर ट्राली में भरकर पूरनपुर तक बिना रोक-टोक के पहुंच जाते है। हरियाली के कातिल प्रतिबंधित लकड़ी को काट कर ठिकाने आसानी से ठिकाने लगा देते हैं। हालांकि कुछ राहगीरो ने आम की बोटो से भरी ट्रैक्टर ट्राली का फोटो व वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इससे हरियाली की देखभाल करने वालों की पोल खुल रही है। हरे भरे पेड़ों के अवैध कटान पर प्रतिबंध न लगने से वन विभाग और पुलिस पर मिलीभगत के भी आरोप लग रहे हैं। वही हाईवे पर लंबे समय से सड़कों पर दौड़ रहे कई वाहनो, कृषि और व्यावसायिक ट्रैक्टर-ट्रॉली में रिफ्लेक्टर नहीं लगे हैं। ट्रॉलियों में बैक लाइट न होने से रात में पीछे चलने वाले लोगों के साथ हादसे की संभावना रहती है। लेकिन इस पर यातायात पुलिस द्वारा संज्ञान नही लिया जा रहा है।

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