शिक्षक समाज का दर्पण : अलंकार सिंह विषेन
हर किसी के आगे बढ़ने में, जीवन को सफल बनाने में गुरू का हाथ होता है : मनीष कुमार सिंह
भारत के राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉक्टर श्री राधाकृष्णन जी भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक थे : सैफ अली
उतरौला (बलरामपुर)
उतरौला बाजार सहित ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी तथा गैरसरकारी विद्यालय में शिक्षक दिवस का पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विद्यालय में बच्चों के द्वारा शिक्षकों को उपहार देकर उन्हें सम्मानित किया गया। शिक्षकों ने भी बच्चों को अपना आशीर्वाद देकर उन्हें एक कामयाब इंसान बनने की प्रेरणा दी। इसी क्रम में उतरौला बाजार में स्थित टाइनी टाट्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल में भारत के राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉक्टर श्री राधाकृष्णन जी के जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर अतिथियों को मंत्रमुग्ध किया। वहीं शिक्षकों ने भी बच्चों को आशीर्वाद देकर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि पीसीएस अलंकार सिंह विषेन ने बताया कि शिक्षक दिवस भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। पहली बार शिक्षक दिवस साल 1962 में मनाया गया था। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के प्रथम उप राष्ट्रपति व द्वितीय राष्ट्रपति के रूप में चुने गए थे। हमे उनके द्वारा बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। शिक्षकों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज का दर्पण होता है शिक्षक का व्यवहार और उसका आचरण ऐसा होना चाहिए जो बच्चे के जीवन को परिवर्तित कर सके और उसे सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित कर सके।
इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य मनीष कुमार सिंह ने कहा कि हर एक दिन का अपना कुछ महत्व होता है और हर दिन के पीछे एक इतिहास छुपा होता है। ठीक ऐसे ही पांच सितंबर का दिन भी हर एक छात्रों और शिक्षकों के लिए खास महत्व रखता है। दरअसल, हर किसी के आगे बढ़ने में, जीवन को सफल बनाने में गुरू का हाथ होता है। शिक्षक अपने छात्रों को सही राह दिखाता है, सही ज्ञान देता है और मार्गदर्शन भी करता है। इसलिए बच्चों के जीवन में शिक्षकों का खास महत्व होता है।विद्यालय के डायरेक्टर सैफ अली ने बताया कि डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के पहले उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति रहे। वे भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक थे। उनके इन्हीं गुणों के कारण सन् 1954 में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया था।उन्हें 1931 में ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा“सर” की उपाधि प्रदान की गयी थी। ये बात तो आप जानते हों कि डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के मौके पर पांच सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। लेकिन आप ये नहीं जानते होंगे कि इसके पीछे एक रोचक कहानी है। हुआ ये था कि एक बार छात्रों ने डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन से पूछा कि उनके जन्मदिन का आयोजन किया जाए? इस पर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने जवाब दिया कि ये अच्छी बात है कि आप लोग मेरा जन्मदिन मनाना चाहते लेकिन आप अगर इस दिन को शिक्षकों द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए गए योगदान और समर्पण को सम्मानित करते हुए मनाएं, तो मुझे सबसे ज्यादा खुशी होगी। बस इसी बात का सम्मान करते हुए हर साल पांच सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।