श्री ज्वाला देवी मंदिर उतरौला का प्राचीन आस्था-केंद्र व्यवस्थापक/अध्यक्ष अमरचन्द गुप्ता के कुशल नेतृत्व में व्यवस्था


काजी सुहेल अहमद संवाददाता तहसील उतरौला जनपद बलरामपुर।
उतरौला में नव रात्रि के पावन अवसर पर पूरा नगर मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की भक्ति में रंगा हुआ है। इसी श्रद्धा-सागर का सबसे प्रमुख तीर्थ है नगर के मध्य राजमार्ग से सटे मोहल्ला गांधी नगर में स्थित श्री ज्वाला महारानी देवी मंदिर, जिसे उतरौला राज्य का सबसे प्राचीन और चमत्कारी मंदिर माना जाता है। भक्तों की मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है, इसलिए नवरात्र के दिनों में यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है।
मंदिर की स्थापना का सटीक काल ज्ञात नहीं, लेकिन किंवदंतियां बताती हैं कि यह स्थल मुस्लिम शासन काल से भी पहले का है। कथा के अनुसार, जब राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया तो उनकी पत्नी सती ने यज्ञ-कुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। सती के वियोग में भगवान शिव ने ब्रह्मांड में तांडव किया। ब्रह्माण्ड को संतुलित करने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खंड-खंड किया। कहा जाता है

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