आदर्श उजाला–संवाददाता मोहम्मद इसराईल शाह (गैड़ास बुजुर्ग)
उतरौला बलरामपुर के प्राइवेट स्कूलों की हर सत्र में बढ़ती फीस और कमीशन बाजी के चलते अभिभावक अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं निजी स्कूलों में चलने वाले कोर्स केवल चिन्हित दुकानों पर भी मिलता है, बच्चों का भविष्य बनाने का समान ही ऊंचे दामों पर कापी किताब स्टेशनरी यूनिफॉर्म देकर अभिभावकों की जेब धड़ल्ले से काटी जा रही है बच्चों के भविष्य के लिए लोग परेशान अभिभावक उधार कर्ज लेने के लिए पीछे नहीं हटते हैं। शासन प्रशासन के द्वारा निजी स्कूलों में हो रही मनमानी पर अंकुश लगाने में सफल नहीं हो पा रहा है। अभिभावक अपने बच्चों को ऊंची शिक्षा दिलाने के चक्कर में अपने बजट से कहीं आगे निकल जाते हैं जिसके चलते दूसरों के कर्जदार हो जाते हैं तथा विद्यालय की फीस इतनी होती है कि अगर समय पर नहीं दे पाते हैं तो अभिभावक को अपमानित भी होना पड़ता है ,स्कूल के प्रबंधक हर साल फीस में बढ़ोतरी करते हुए नजर आ रहे हैं इसलिए आमजन का जीना मुहाल हो गया है किताब कॉपी का सेट इतना महंगा है कि उसे खरीदने में अभिभावकों के पसीने निकल जाते हैं उधर शिक्षा विभाग के अधिकारी इस लूट पर चुप्पी साधे हुए हैं। भारी भरकम फीस के चलते मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चे अच्छी शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, तो गरीब घर के बच्चे शिक्षा से ही वंचित रह जाते हैं।उतरौला में कई निजी स्कूल ऐसे है जो स्टेशनरी की दुकानों से अच्छी खासी कमीशन लेते है और कुछ स्कूल अपने ही यह से किताब कॉपी पर मोटी रकम में देते है,जिससे अभिभावकों पर और बोझ बढ़ जाता है ।कांग्रेस पार्टी के नगर अध्यक्ष शकील अहमद शाह (एडवोकेट) का कहना है कि ऐसे में उन बच्चों के भविष्य के बारे में सरकार को गंभीरता से सोने की जरूरत है और फीस की सीमा निश्चित होनी चाहिए निजी स्कूलों की फीस कम से कम होनी चाहिए जिससे गरीब वह मध्यम वर्ग के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर सके और यह तभी संभव होगा जब निजी स्कूलों का कोर्स व यूनिफॉर्म पर कमीशन लेना बंद होगा