शब- ए -बारात में इबादत करने से माफ होते हैं गुनाह हशमती।

आदर्श उजाला संवाददाता मोहम्मद इसराईल शाह गैंडास बुजुर्ग
सब ए बारात मुस्लिम समुदाय के प्रमुख पर्वों में से एक है। यह इबादत की रात होती है इस साल देश भर में शबे ऐ बारात के त्यौहार 25 फरवरी को मनाया जाएगा।यह त्योहार चांद देखने पर निर्भर होता है मान्यता कि शबे ऐ बारात में इबादत करने वाले लोगों के सारे गुनाह माफ हो जाते हैं।
मौलाना एजाज रजा हशमती कहते हैं कि शबे ऐ बरात का अर्थ है सब यानी रात और बारात यानी बारी होना सब ए बारात के दिन इस दुनिया को छोड़कर जा चुके पूर्वजों की कब्रों पर उनके प्रियजनों द्वारा दुआएं मगफिरत पढ़ी जाती है और उनके मगाफिरत की दुआ मांगी जाती है। इस रात जो भी सच्चे।
रात मे जागकर करते हैं खास इबादत
मौलाना एजाज रजा हशमती ने कहा कि इस रात में नफिल नमाजे पढ़ना अपने पूर्वजों के लिए दुआ ऐ मगाफिरत करना और कुरान की तिलावत करना अहम माना जाता है। इस दिन घरों में महिलाएं अच्छे-अच्छे पकवान बनाती हैं। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार शबे ऐ बारात अरबी के आठवें महीने में यानी शाबान के 15 तारीख को मनाया जाता है शाबान महीने के बाद रमजान का महीना शुरू होता है रमजान मुसलमान में सबसे पवित्र महीना माना जाता है सब का मतलब रात और बारात का मतलब बरी , माफ़ी।

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