पर्यटन विभाग की भूमि लीज नीति-2024 से प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही भूमि बैंक की स्थापना में मिलेगी मदद:जयवीर सिंह

 

उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की भूमि लीज नीति-2024 को मंत्रिपरिषद ने 05 फरवरी, 2024 को अनुमोदित कर दिया है। अब यह नीति प्रख्यापित होने जा रही है। यह नीति 06 चरणों में विभाजित है। प्रत्येक चरण के अंतर्गत अलग-अलग व्यवस्थायें की गयी हैं। प्रथम चरण के अंतर्गत निवेश प्रस्ताव के लिए रूचि की अभिव्यक्ति की व्यवस्था है। इसके तहत पर्यटन विभाग पट्टे के आधार पर भूमि आवंटन के लिए जनपद व पर्यटन गन्तव्यवार उपयुक्त भू-खण्ड की पहचान कर एक सूची बनायेगा। इसे पर्यटन विभाग के भूमि बैंक के रूप में चिन्हित किया जायेगा। इसके उपरान्त निवेशकों से रूचि की अभिव्यक्ति आमंत्रित की जायेगी। भूमि बैंक के रूप में निर्धारित सभी जमीनों का स्वामित्व पर्यटन विभाग उ0प्र0 के पास ही रहेगा।
यह जानकारी आज यहां प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार के पास उपलब्ध भूमि के अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता पड़ने पर राज्य सरकार के अनुमोदन से अन्य विभागों से पर्यटन विभाग के पक्ष में भूमि हस्तान्तरित की जायेगी अथवा भूमि स्वामियों से भूमि अधिग्रहण अधिनियम की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत खरीदी जायेगी।
जयवीर सिंह ने बताया कि भूमि लीज नीति के प्रथम चरण में निवेश प्रस्ताव के लिए रूचि की अभिव्यक्ति के बारे में बताया गया है। इसके तहत पर्यटन विभाग छोटे भूखण्ड को ’’जहॉ है जिस स्थिति में है’’ के आधार पर आवंटित करेगा। बड़े भू खण्ड पर निवेशकों को यूनिट पार्सल के रूप में आवंटन के लिए प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर विस्तार से ले आउट तैयार किया जायेगा। निवेशक आवंटित भू-खण्ड पर पर्यटन सुविधाओं के विकास की परियोजनाओं की डिजाइन, वित्त पोषण और विकसित करेगा। भू स्थल के आसपास आधारभूत संरचनाओं एवं अवस्थापना सुविधाओं संबंधी विकास से संबंधित कार्यों पर होने वाला व्यय संबंधित विभागों द्वारा यथासंभव उनके बजट प्राविधान से किया जायेगा।
जयवीर सिंह ने बताया कि विकास कार्यों के लिए संबंधित विभागों के विभागीय बजट में प्राविधान नहीं होगा, उसका आकलन कर पर्यटन विभाग द्वारा विकासात्मक व्यय के लिए बजटीय प्राविधान किया जायेगा। निवेशक/पट्टाधारक द्वारा बिजली संबंधी कार्य एवं कनेक्शन, जल, सीवर, पर्यावरण, माइनिंग, नगर निकाय/पंचायत निकाय आदि से संबंधित वैधानिक देयों एवं अन्य सभी करों का भुगतान किया जायेगा। आवंटित भूखण्ड पर अनुमोदित परियोजना के अनुसार आंतरिक बुनियादी ढाचों का विकास निवेशक/पट्टा धारक द्वारा किया जायेगा। नीति के द्वितीय चरण के अंतर्गत निवेश प्रस्तावों का तकनीकी मूल्यांकन की व्यवस्था है तथा तृतीय चरण में निवेश प्रस्तावों की स्वीकृति तथा चतुर्थ चरण में भूमि आवंटन की प्रक्रिया के बारे में व्यवस्था दी गयी है।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि 5वें चरण में समझौते पर हस्ताक्षर की प्रक्रिया पूरी कराने की व्यवस्था है। आवंटन प्रक्रिया के माध्यम से भूमि प्राप्त करने वाले निवेशकों को बैंक ऋण प्राप्त करने, वित्तीय समापन और निर्माण गतिविधियों को प्रारम्भ करने के लिए संबंधित विभाग से सभी आवश्यक अनुमोदन एनओसी आदि प्राप्त करने के लिए 09 माह की अवधि प्रदान की जायेगी। लीज पट्टा के आधार पर प्राप्त भूमि को निवेशक द्वारा सबलीज का अधिकार प्रदान नहीं किया जायेगा। भूमि लीज नीति के क्रियान्वयन में कतिपय शर्तों एवं प्रतिबंधों का अनुपालन अनिवार्य रूप से किया जायेगा। उ0प्र0 पर्यटन भूमि पट्टानीति के अंतर्गत उल्लिखित 06 चरणों में से प्रत्येक चरण की समयसीमा निर्धारण किया जाए। जिससे प्रत्येक भूमि पार्सल का विकास एक निश्चित समय सीमा के भीतर हो सके।
प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम ने इस नीति की विभिन्न प्रस्तावों पर 10 फरवरी, 2024 को हस्ताक्षर करते हुए महानिदेशक पर्यटन उ0प्र0 को अग्रेतर कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिये हैं।

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