हिंदी दिवस पर टाइनी थॉट्स इंटर कॉलेज में पेंटिंग प्रतियोगिता और भाषण प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
प्रतियोगिताओं से बच्चों का भाषा कौशल और थिंकिंग स्किल्स विकसित होता है : मनीष कुमार सिंह
हिंदी को विज्ञान और तकनीक की भाषा के रूप में विकसित हुकरना आवश्यक : इंशा सैफ अली
भारत की अधिकांश भाषाओं पर हिंदी का प्रभाव : सैफ अली
उतरौला (बलरामपुर)
उतरौला बलरामपुर मार्ग पर स्थित टाइनी टाट्स इंटर कालेज उतरौला में हिंदी दिवस का आयोजन किया गया। इस आयोजन में कक्षा एक से लेकर कक्षा बारह तक के बच्चों ने प्रतिभाग किया जिसमे भाषण प्रतियोगिता तथा पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। भाषण प्रतियोगिता का विषय ‘भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों का जीवन और योगदान” था। इसमें सीनियर वर्ग से 20 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। प्रतिभागियों ने भारत की आजादी की लड़ाई में वीर महापुरुषों के जीवन और योगदान पर प्रकाश डाला। इस दौरान विद्यालय के प्रधानाचार्य मनीष कुमार सिंह ने छात्र-छात्राओं को मातृभाषा के महत्व के बारे में समझाया तथा बच्चों के प्रस्तुति को सराहते हुए कहा कि ऐसी प्रतियोगिताओं से बच्चों का भाषा कौशल और थिंकिंग स्किल्स विकसित होता है। इसके अलावा बच्चों में देश प्रेम की भावना और इतिहास को समझने की प्रवृत्ति जागृत होती है। प्रतियोगिता का संचालन विद्यालय की शिक्षिका इमरान फातिमा ने किया। इस अवसर पर विद्यालय के डायरेक्टर सैफ अली ने कहा कि हिंदी सरल और सहज भाषा है। भारत की अधिकांश भाषाओं पर हिंदी का प्रभाव है। हिंदी भाषियों को अपने उच्चारण और वर्तनी पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। हिंदी हमारी मातृ भाषा है और हिंदी को पूर्ण रूप में राजभाषा बनाया जाना चाहिए। भारत हिंदी को आधार बनाकर ही विश्व में अपनी पहचान बना सकता है। विद्यालय की सहायक डायरेक्टर इंशा सैफ अली ने कहा कि हिंदी हमारे सपनों की भाषा है। हिंदी के विषय में हमें जागरूक होना चाहिए। रोजगार के प्रत्येक क्षेत्र में हिंदी की स्थिति मजबूत होनी चाहिए। भारत आज अपनी पहचान विश्व स्तर तक बना रहा है। नासा के वैज्ञानिक भी इसरो के साथ काम करना चाहते हैं। हिंदी को विज्ञान और तकनीक की भाषा के रूप में विकसित हुकरना आवश्यक है। अपनी बात कहने के लिए प्रत्येक विषय में एक अपना शब्द कोश होना चाहिए। जिससे हम अपनी बात प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत कर सकें।विद्यालय की संचालिका मैडम जहाआरा ने कहा कि हिंदी पूरे भारत वर्ष में बोली जाती है। नवीन पीढ़ी हिंदी के पठन-पाठन से दूर होती जा रही है। हिंदी के प्रति एक विस्तृत दृष्टिकोण रखना चाहिए। पाठयक्रम से इतर भी अपना अध्ययन विस्तृत करो और गर्व के साथ हिंदी बोलो।