सवाल! आखिर किसके इशारे पर तहसील क्षेत्र में फल फूल रहा लकड़ी कटान का कारोबार
ब्यूरो,पीलीभीत। यूपी सरकार ग्राम पंचायतों में वृक्षारोपण पर लाखों रुपए खर्च कर रही है। सरकार की ओर से भले ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर तमाम प्रयास किए जा रहे, लेकिन धरातल हकीकत इसके परे है। वही वनों के संरक्षण पर लाखों रुपये हर साल व्यय हो रहे हैं, इसके बाद भी जंगलों में खडे़ हरे पेड़ों को बचाना मुश्किल हो रहा है। इसकी प्रमुख वजह विभागीय कर्मियों के अपने दायित्वों के प्रति सजग न होना है। इसका अनुचित फायदा लकड़ी कारोबारी उठा रहे हैं।
हरे वृक्षों की कटाई का धंधा जोरो से फल फूल रहा है। वन विभाग के अधिकारियों का इस ओर ध्यान नहीं है, नगर में रोज सैकड़ों ट्रैक्टर ट्रॉलीयां अवैध रूप से परिवहन करके जंगल से लकड़ियां ला रहे हैं। लकड़ी खरीदने के कारोबारी ग्रामीण क्षेत्र से सौदा करके लकड़ी खरीदते है, फिर उसकी कटाई का कार्य होता है। पूरनपुर तहसील क्षेत्र में काफी समय से प्रतिबंधित पेड़ों के कटान का धंधा जोरों पर चल रहा है। आए दिन सड़कों पर बेखौफ होकर प्रतिबंधित लकड़ी से भरे ट्रैक्टर ट्राली बेखौफ होकर सड़कों पर दौड़ते हुए नजर आ रहे हैं। लेकिन इसको लेकर संबंधित अधिकारी कर्मचारी आंख मूंदे हुए हैं। सवाल उठता है कि आखिर किसके इशारे पर प्रतिबंधित पेड़ों के कटान का कारोबार चल रहा है।लकड़ी खरीदने के कारोबारी ग्रामीण क्षेत्र से सौदा करके लकड़ी खरीदते है, फिर उसकी कटाई का कार्य होता है।फिर उसके अलग-अलग भाग कर उसे आरा मशीन तक लाया जाता है। जहां उसकी उपयोगी लकड़ी को निकाल कर महंगे भाव में बेचा जाता है, बाकी की लकड़ी जलाऊ के लिए बेच दी जाती है। नगर में एक ट्रैक्टर ट्राली बेधड़क अवैध लकड़ी भरकर परिवहन करते हैं, परिवहन के दौरान भी इनसे किसी प्रकार की कोई रोका टोकी भी नहीं होती है।वन विभाग के अधिकारी अगर आरा मशीनों पर जाकर इस बात की जांच नहीं करते हैं कि इन पर कौन सी लकड़ी कटने के लिए आ रही है। अगर इन पर शिकंजा कस जाए तो हजारों की संख्या में कट रहे पेड़ कटने से बचाए जा सकते हैं।