उतरौला (बलरामपुर) गुरुवार की पहली सुबह उतरौला के ग्राम रेहरा माफ़ी की शिया मस्जिद में हज़रत अली की शहादत के सिलसिले में मजलिस का आयोजन किया गया।

 

आदर्श उजाला सव्वंददता मोहम्मद इसराईल शाह।

मौलाना ताजदार हुसैन ज़ैदी ने कहा कि मौला अली की हुकुमत के समय कभी कोई भूखा नहीं सोया। उन्हें उस दौर में यतीमों का मसीहा कहा जाता था। उन्होंने यतीम बच्चों ग़रीबों की देखभाल और सहायता के लिए बहुत काम किए उन्हें उनकी न्यायप्रियता दयालुता और ग़रीबों के प्रति सहानुभूति के लिए जाना जाता है। 19 रमज़ान को इराक़ के कूफ़ा शहर में फ़ज्र की नमाज़ के बाद इब्ने मुलजिम नामक आतंकवादी द्वारा नमाज़ की हालत में उन्हें शहीद कर दिया गया। दुनिया भर के शिया मुसलमान 19 रमज़ान से 21 रमज़ान तक अपने ईमाम मौला अली का ग़म मनाते हैँ।
मजलिस में जब हज़रत अली का ताबूत निकाला गया तो पूरा माहौल गमगीन हो गया। और हर ओर से हाय मौला अली मौला की सादयें गूंजने लगीं। अंजुमन वफ़ाये अब्बास के सदस्यों ने नौहा ख़्वानी और सीनाज़नी करके अपने शहीद ईमाम को पुरसा पेश किया। इरफ़ान हैदर, तौसीफ़ हसन, अब्बास, जाफ़र, तौक़ीर हसन, मुहम्मद आलिम, रज़ा अब्बास, मुहम्मद सालिम, इंतेज़ार मेंहदी, मीसम अब्बास, असग़र अली, जावेद हैदर, यासूब अब्बास, नदीम हैदर आदि मौजूद रहे

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