प्रयागराज, दिव्य महाकुंभ की भव्य एवं नव्य शुरुआत के बाद महाकुंभ अलौकिक शक्तियों का मूल केंद्र बन गया है। जहां दुनिया भर की आध्यात्मिक शक्तियां ऊर्जा का अलग ही आभामंडल बना रही हैं। ऐसी अलौकिक शक्तियां एक हुई,जब शाही स्नान के बाद पंचदश नाम जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 श्री आत्मानंद गिरि जी महाराज ने अपने शिष्य मंडल के साथ अखंड परमधाम हरिद्वार के शिविर में पहुंचकर अपने गुरुदेव ट्रस्टी सदस्य श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र श्री धाम अयोध्या,अनंत श्री विभूषित युग पुरुष आचार्य प्रवर महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद गिरि जी महाराज से भेंट कर उनका आशीर्वाद लिया। शिष्य मंडल के उमेश त्रिवेदी के नेतृत्व में अपने गुरुदेव के सानिध्य में युग पुरुष एवं अखंड परमधाम हरिद्वार के मुख्य संरक्षक श्री श्री 1008 श्री महामंडलेश्वर स्वामी ज्योतिर्मयानंद गिरी जी महाराज का जमकर अभिनंदन और वंदन किया। सभी को आशीर्वाद प्रदान करने के बाद दिव्य महाकुंभ के माहात्म्य बारे में बताते हुए कहा कि यूं तो कोई भी तीर्थ यात्रा होती है तो तप हो जाता है घर से एक दिन बाहर रहने पर भी तप होता है। यहां तो बहुत लोग एक महीने के लिए रहते हैं।इसलिए यह तपोस्थली बन जाती है ब्रह्मज्ञान के लिए कहा गया है।तपोभि:क्षीण पापनाम,तप के द्वारा जिनके पाप नष्ट हो जाते हैं उन्हें ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति होती है,इसलिए यहां का आना पापों का नाश और पापों के नाश से ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति और ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति परम अमृत है। सब इसलिए यहां आना श्रेष्ठ है।कार्यक्रम में मुख्य रूप से बिट्टू भैया,आकाश, आचार्यलखन जी, दिनेश,आदित्य पांडेय,संजय शुक्ला भूपेंद्र सिंह,विमलेश तिवारी,देवेश तिवारी,पुनीत तिवारी,आद्या त्रिवेदी आरती त्रिवेदी,रंजन शुक्ला,लकी शुक्ला, आदि लोगों सहित उपस्थित रहे।