आदर्श उजाला संवाददाता मोहम्मद इसराईल शाह गैंडास /बुजुर्ग (उतरौला बलरामपुर)।
इस बार जुलूस में सूक्ष्म बदलाव रहा। लोग पैदल ना चल बाइक व डीसीएम पर सवार होकर जुलूस में शामिल हुए। “गौस का दामन नहीं छोड़ेगें, नारे तकबीर अल्लाह हू अकबर, हिन्दुस्तान जिंदाबाद का नारा लगाते बाइकों पर सवार अकीदतमंदों का काफिला आकर्षण का केंद्र रहा। कई नातिया शायरों की नात सुनकर जुलूस में शामिल अकीदतमंद झूमते रहे। जुलूस शाहजहानी दरगाह से हाटन रोड,जामा मस्जिद, गोण्डा मोड़ से सीधे कर्बला पहुंचा वहां से वापस गोंडा मोड़, से अंबेडकर चौराहा, श्यामा प्रसाद मुखर्जी चौराहा से अपने निर्धारित मार्ग होता हुआ वापस शाहजहानी दरगाह पहुंचा। जहां सलातो सलाम के बाद कौमो मिल्लत, देश की तरक्की व खुशहाली की दुआ के बाद समापन किया गया। कमेटी सदर निसार शाह व इजहार शाह ने कहा कि आज बड़े पीर शेख अब्दुल कादिर जिलानी अलैहिर्रहमा की यौमे पैदाइश का दिन है। यह हम सबके लिए बेहद खुशी का दिन है। इस दिन अहले सुन्नत वल जमात के लोग अपने घरों में बड़े पीर के नाम से नियाज फातिहां कराते हैं। गरीब मिस्किनों को खाना खिलाते हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने अकाबिर ‘औलिया-ए-किराम’ और बुजुर्गाने दीन यहां तक कि पैगंबर-ए-आजम के तरीके और वाकयात को सुनने के लिए घरों में तकरीरी प्रोग्राम का आयोजन करते हैं। हम अहले सुन्नत के लोग हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां अम्बिया अलैहिस्सलाम के सच्चे जानशीन हैं। इस्लाम व ईमान की रोशनी इन्हीं के जरिए से हम तक पहुंची है। हम सबको अहकाम-ए-शरीयत का पालन करना चाहिए। गौस पाक का मर्तबा बलंद है। ईमान व दीन-ए-इस्लाम बादशाहों के जरिए नहीं फैला बल्कि हमारे इन्हीं बुजुर्गों, औलिया व सूफियों के फैला है।
इस दौरान मुफ्ती मोहम्मद जमील खान, मौलाना आसिफ रज़ा, हाफिज अब्दुल दैयान हशमती, सलमान जमशेद, जमील अहमद, एहसान बाबा, सगीर बाबा, इस्माइल, अली हुसैन, मोहम्मद अबरार, सद्दाम, उवैस , मास्टर शबी अहमद सब्बू, मोहम्मद तालीम अली समेत अन्य अकीदतमंद जुलूस में शामिल रहे।