मदरसा इस्लामिया फ़ैज़ुल उलूम अल्लाह नगर छीतरपारा में आयोजित तालीमी व इस्लाही कान्फ्रेंस

आदर्श उजाला संवाददाता मोहम्मद इसराईल शाह गैंडास बुजुर्ग। उतरौला बलरामपुर।
इटावा के मौलाना जरजीस सिराजी ने तौहीद और शिर्क पर बयान करते हुए कहा कि हजरत मुहम्मद [सल्ल०] दीन-ए-इस्लाम के आखरी पैग़म्बर हैं, दरअसल जब से दुनिया वजूद में आयी है यानी आदम [अलै०] से लेकर हजरत मुहम्मद [सल्ल०] तक धर्म या दीन तो एक ही रहा है यानि दीन-ए-इस्लाम। अल्लाह तआला ने हर कौम और हर जगह अपने सन्देश वाहक यानि पैगम्बर भेजे हैं, हजरत मुहम्मद [सल्ल०] इस सिलसिले की आखरी कड़ी हैं, आदम [अलै०] ने तौहीद यानि एक ख़ुदा को मानना​​ और अल्लाह की ज़ात व उसकी सिफात में किसी को शरीक न करने की शिक्षा दी।
जैसे जैसे ज़माना तरक्की करता चला गया वैसे वैसे अल्लाह के पैगम्बर नयी नयी शिक्षाएँ लाते गए मगर बुनियादी शिक्षाएँ यानि [एक ख़ुदा को मानना​​ और अल्लाह की ज़ात व उसकी सिफात में किसी को शरीक न करना] हर पैगम्बर ने बताई और उस पर अमल करने की शिक्षा दीं और खुद भी उन पर अमल करके दिखाया। दुनियावी चीजें मनुष्य, पशु, दृश्य प्रकृति, सब उसकी पैदा की हुई हैं। ईश्वर एकमात्र और उसका कोई साझी नहीं। शिर्क का अर्थ है किसी को अल्लाह के साथ जोड़ना या आप साझेदारी कह सकते हैं। यह अल्लाह की एकता के विपरीत है जो तौहीद है। कुरान लोगों को सर्वशक्तिमान अल्लाह की एकता को स्वीकार करने के लिए कहता है और लोगों को उसके व्यक्तित्व या गुणों के साथ साझेदार बनाने से सख्ती से रोकता है। पवित्र कुरान में, अल्लाह ने कहा कि शिर्क एक बड़ा पाप है जिसे अल्लाह कभी माफ नहीं करेगा। इसलिए हमारे लिए शिर्क की गंभीरता और विभिन्न कृत्यों के बारे में जानना महत्वपूर्ण है जो हम अपने दैनिक जीवन में कर रहे हैं लेकिन हमें इसका एहसास नहीं है।
मौलाना अबुल आस वहीदी ने इस्लामी तालीमी और मुसलमान की ज़िम्मेदारी पर रोशनी डाली, मौलाना शहाबुद्दीन मदनी ने इस्लाहे समाज में ख़्वातीन का किरदार पर तफसील से बयान किया।
मौलाना अब्दुल गनी सल्फी ने इत्तेबाय सुन्नत पर विस्तृत प्रकाश डाला।
इससे पूर्व कारी मोहम्मद ज़ुबैर फुरकानी ने कलामे पाक की तिलावत से कान्फ्रेंस का आगाज़ किया। सदारत मौलाना अब्दुल आस वहीदी और निजामत मौलाना अब्दुल मन्नान ने किया। हाजी बाबूलाल खान, मुजीबुल्लाह खान, तजम्मूल हुसैन, वसीउल्ला खान, हाफिज अतिकुर्रहमान, फैयाज अहमद, फैजानुल्लाह खान, मौलाना रईस अहमद, मौलाना वज़हुल कमर, डॉक्टर अजमल, मोहम्मद मुस्तफा, मोहम्मद इलियास, फारोग ए आलम सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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