एक शहीद पूरे राष्ट्र का गौरव होता है- जितिन प्रसाद

 

उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद ने जनपद सीतापुर में बिसवां से सिधौली होते हुए मिश्रिख तक जाने वाले प्रमुख जिला मार्ग का नामकरण परमवीर चक्र विजेता अमर शहीद कैप्टन मनोज कुमार मार्ग के नाम से किये जाने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हृदय से आभार प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि अमर शहीद कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय के नाम से मार्ग का नाम रखा जाना उनकों एक सच्ची श्रद्धांजलि है।
लोक निर्माण मंत्री ने कहा कि एक शहीद पूरे राष्ट्र का गौरव होता है। अमर सपूत परमीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय के सम्मान में लोक निर्माण विभाग के स्वामित्व वाले रोड “बिसवां से सिधौली होते हुए मिश्रिख तक जाने वाले मार्ग की कुल लम्बाई 66.480 किलोमीटर (प्रमुख जिला मार्ग 27.730 किमी०, प्रमुख जिला मार्ग 2.50 कि० मी०, राज्य मार्ग 36.25 कि0मी0) को परमवीर चक्र विजेता अमर शहीद कैप्टन मनोज कुमार मार्ग के नाम पर नामकरण की संस्तुति की गयी है।
परमवीर चक्र विजेता अमर शहीद कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय का जन्म 25 जून, 1975 को ग्राम-रूढ़ा, पोस्ट-कमलापुर, जिला सीतापुर में हुआ था। लेफ्टिनेंट मनोज कुमार कुमार पाण्डेय ने आपरेशन विजय के दौरान अदम्य साहस का परिचय देते हुए जब्बार पहाड़ी पर कब्जे सहित बटालिक सेक्टर में घुसपैठियां को भारी नुकसान पहुंचाते हुए पीछे खदेड़ दिया। खालूबार की ओर बढ़ते हुए वह उनके जीवन का सर्वाधिक गौरव का क्षण था। जब वे न 0-5 प्लाटून के कमांडर थे। 2/3 जुलाई, 1999 की रात को वे आसपास की पहाडियों से शत्रु द्वारा की जा रही भारी तथा सघन गोलीबारी की चपेट में आ गए।
लेफ्टिनेंट पाण्डेय को इन अड़चन पैदान करने वाले ठिकानों से शुत्रु के सफाये का कार्य सौंपा गया था, ताकि अन्यत्र जोखिमपूर्ण स्थान पर होने के कारण उनकी बटालियन सुबह होने से पहले वहां से निकल जाए। वे शत्रु की भीषण गोलीबारी के बीच से तुरंत अपने प्लाटून को एक ऊंचे ठिकाने पर ले गये तथा एक टुकड़ी को दाहिनी ओर से शत्रु के सफाये के लिए भेजते हुए स्वयं बाई ओर की शत्रु के चार ठिकाने के सफाये के लिए बढ़े। निर्भयता से शुत्रु के प्रथम ठिकाने पर धावा बोलकर उन्होंने दो शुत्रओं को मार गिराया तथा दो अन्य शत्रुओं को मारकर दूसरे ठिकाने भी नष्ट कर दिया। तीसरे ठिकाने को नष्ट करते समय उनका कंधा तथा पैर जख्मी हो गए। बिना डरे और अपने गंभीर जख्मों की परवाहन न करते हुए वे अपने साथियों को लेकर ललकारते हुए चाथे ठिकाने पर धावा बोलने के लिए सबसे आगे रहे तथा माथे पर एमएम जी की प्राण घातक गोलियो खाने के बावजूद उन्होंने चाथे ठिकाने को भी एक ग्रेनेड से नष्ट कर दिया।
लेफ्टिनेंट पाण्डेय के इस अदम्य साहस के फलस्वरूप शेष कंपनियों को एक ठोस ठिकाना मिल गया, जिससे अंततः खालुबार पर कब्जा कर लिया गया। इस प्रकार लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पाण्डेय ने शुत्रु के सम्मुख असाधारण वीरता, अदम्य साहस, अनुमकरणीय व्यक्तिगत बहादुरी, उत्कृष्ट नेतृत्व तथा असाधारण कोटि की कर्तव्यनिष्ठा का परिचय देते हुए भारतीय सेना की उच्चतम परंपराओं के अनुरूप निर्वाह करते हुए 03 जुलाई, 1999 को सर्वोच्च बलिदान दिया।

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