प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि हम जिस अवसर के साक्षी बन रहे हैं, यह भारत के सांस्कृतिक नवजागरण का एक और अद्भुत क्षण है। अभी पिछले महीने ही 22 जनवरी को देश ने अयोध्या में 500 साल के इंतजार को पूरा होते देखा है। श्रीरामलला के विराजमान होने का अलौकिक अनुभव, दिव्य अनुभूति हमें भावुक कर जाती है। इसी बीच हम देश से सैकड़ों किलोमीटर दूर अरब की धरती पर अबू धाबी में पहले विराट मंदिर के लोकार्पण के साक्षी भी बने हैं। जो कल्पना से भी परे था अब वह हकीकत बन चुका है और अब हम यहां सम्भल में भव्य कल्किधाम के शिलान्यास के साक्षी बन रहे हैं।
प्रधानमंत्री जी आज जनपद सम्भल मंे श्री कल्कि धाम का भूमिपूजन एवं शिलान्यास करने के बाद इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। आयोजन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी भी सम्मिलित हुए। उन्होंने प्रधानमंत्री को भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा भेंट कर उनका स्वागत किया। आचार्य प्रमोद कृष्णन और अन्य साधु सन्तों द्वारा प्रधानमंत्री को श्री कल्कि धाम की प्रतिकृति भेंट की गई।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश की धरती, प्रभु श्रीराम तथा श्रीकृष्ण की भूमि से भक्ति, भाव और अध्यात्म की एक और धारा प्रवाहित होने को लालायित है। आज पूज्य संतों की साधना और जन मानस की भावना से एक और पवित्र धाम की नींव रखी जा रही है। संतों व आचार्यों की उपस्थिति में भव्य कल्कि धाम के शिलान्यास का उन्हें सौभाग्य मिला है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि कल्कि धाम भारतीय आस्था के एक और विराट केन्द्र के रूप में उभरकर सामने आयेगा। कई ऐसे अच्छे काम हैं, जो कुछ लोग उनके लिए छोड़कर के चले गए हैं। संतों तथा जनता जनार्दन के अशीर्वाद से वे इन कार्यों को पूर्ण करेंगे।
प्रधानमंत्री ने छत्रपति शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्म जयंती होने के कारण यह दिन और अधिक पवित्र तथा ज्यादा प्रेरणादायक हो जाता है। आज हम देश में जो सांस्कृतिक पुनरोदय देख रहे हैं तथा अपनी पहचान पर जो गर्व दिख रहा है, वह प्रेरणा हमें छत्रपति शिवाजी महाराज से ही मिलती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 22 जनवरी, 2024 से नए कालचक्र की शुरुआत हो चुकी है। प्रभु श्रीराम ने जब शासन किया तो उसका प्रभाव हजारों वर्षों तक रहा। उसी तरह, श्रीरामलला के विराजमान होने से अगले हजार वर्षों तक भारत के लिए एक नई यात्रा का शुभारम्भ हो रहा है। अमृतकाल में राष्ट्र निर्माण के लिए पूरी सहस्र शताब्दी का यह संकल्प केवल एक अभिलाषा भर नहीं है। यह एक ऐसा संकल्प है, जिसे हमारी संस्कृति ने हर कालखण्ड में जीकर दिखाया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों जब प्रमोद कृष्णम उन्हें निमंत्रण देने के लिए आए थे, तो जो बातें उन्होंने बताई उसके आधार पर कहा जा सकता है कि आज जितना आनंद उनको हो रहा है, उससे अनेक गुना आनंद उनकी माताजी की आत्मा को हो रहा होगा। मां के वचन के पालन के लिए एक बेटा कैसे जीवन खपा सकता है, यह प्रमोद जी ने दिखा दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें अवगत कराया गया है कि कई एकड़ में फैला यह विशाल धाम कई मायनों में विशिष्ट होने वाला है। यह एक ऐसा मंदिर होगा जिसमें 10 गर्भ गृह होंगे और भगवान के सभी 10 अवतारों को विराजमान किया जाएगा। 10 अवतारों के माध्यम से हमारे शास्त्रों द्वारा केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि अलग-अलग स्वरूपों में ईश्वर के अवतार को प्रस्तुत किया गया। हमने हर जीवन में ईश्वर की ही चेतना के दर्शन किए। ईश्वर के स्वरूप को सिंह, वराह व कच्छप में देखा है। इन सभी स्वरूपों की एक साथ स्थापना हमारी मान्यताओं की व्यापक छवि प्रस्तुत करेगी। उन्होंने कहा कि यह ईश्वर की कृपा है कि उन्हें इस पवित्र यज्ञ में माध्यम बनाया तथा इस शिलान्यास का अवसर दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक के बाद एक ऐसे आध्यात्मिक अनुभव, सांस्कृतिक गौरव के पल हमारी पीढ़ी के जीवन काल में आने से बड़ा सौभाग्य और क्या हो सकता है। इसी कालखण्ड में हमने विश्वनाथ धाम के वैभव को काशी की धरती पर निखरते तथा काशी का कायाकल्प होते हुए देखा है। इसी दौर में महाकाल के महालोक की महिमा, सोमनाथ का विकास तथा केदार घाटी का पुनर्निर्माण देखा है। हम ‘विकास भी, विरासत भी’ इस मंत्र को आत्मसात करते हुए चल रहे हैं।
एक ओर हमारे तीर्थों का विकास हो रहा है, तो दूसरी ओर शहरों में हाईटेक इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार हो रहा है। आज अगर मंदिर बन रहे हैं तो देश भर में नए मेडिकल कॉलेज भी बन रहे हैं। विदेशों से हमारी प्राचीन मूर्तियां भी वापस लाई जा रही हैं। रिकॉर्ड संख्या में विदेशी निवेश भी आ रहा है। यह परिवर्तन इस बात का प्रमाण है कि समय का चक्र घूम चुका है। एक नया दौर आज हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। हम इस आगमन का दिल खोलकर स्वागत करें, इसलिए लाल किले से देशवासियों को विश्वास दिलाया था कि यही सही समय है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान श्री कल्कि के विषय में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने गहरा अध्ययन किया है। उन्होंने भगवान कल्कि के अवतार से जुड़े कई सारे तथ्यों और शास्त्रीय जानकारियांे से अवगत कराया है। जैसा कि उन्होंने बताया कि कल्कि पुराण में लिखा है- शम्भले वस-तस्तस्य सहस्र परिवत्सरा। अर्थात भगवान श्रीराम की तरह ही कल्कि का अवतार भी हजारों वर्षों की रूप रेखा तय करेगा। हम यह कह सकते हैं कि श्री कल्कि कालचक्र परिवर्तन के प्रणेता और प्रेरणा स्रोत हैं। इसीलिए, श्री कल्किधाम एक ऐसा स्थान होने जा रहा है, जो उन भगवान को समर्पित है, जिनका अभी अवतार होना बाकी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे शास्त्रों में सैकड़ों, हजारों वर्ष पूर्व भविष्य को लेकर इस तरह की अवधारणा लिखी गई तथा हजारों वर्षों बाद की घटनाओं के लिए भी सोचा गया। यह कितना अद्भुत है। आज प्रमोद कृष्णम जैसे लोग पूरे विश्वास के साथ उन मान्यताओं को आगे बढ़ा रहे हैं व अपना जीवन खपा रहे हैं। वह भगवान श्री कल्कि के लिए मंदिर बना रहे हैं व उनकी आराधना कर रहे हैं। हजारों वर्ष बाद की आस्था और अभी से उसकी तैयारी अर्थात हम लोग भविष्य को लेकर कितने तैयार रहने वाले लोग हैं। इसके लिए श्री प्रमोद कृष्णम जी सराहना के पात्र हैं। यह मंदिर इस बात का प्रमाण होगा कि हम बेहतर भविष्य को लेकर कितने सकारात्मक रहने वाले लोग हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पराभव से भी विजय को खींचकर के लाने वाला राष्ट्र है। हम पर सैकड़ों वर्षों तक अनेक आक्रमण हुये। कोई अन्य देश व समाज होता, तो लगातार इतने आक्रमणों की चोट से पूरी तरह नष्ट हो गया होता, हम न केवल डटे रहे, बल्कि और भी ज्यादा मजबूत होकर सामने आए। आज सदियों के वो बलिदान फलीभूत हो रहे हैं। जैसे कोई बीज वर्षों के अकाल में पड़ा रहा हो, लेकिन जब वर्षाकाल आता है तो वो बीज अंकुरित हो उठता है। वैसे ही, आज भारत के अमृतकाल में भारत के गौरव, भारत के उत्कर्ष और भारत के सामथ्र्य का बीज अंकुरित हो रहा है। एक के बाद एक, हर क्षेत्र में कितना कुछ नया हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे देश के संत और आचार्य नए मंदिर बनवा रहे हैं, वैसे ही उन्हें ईश्वर ने राष्ट्र रूपी मंदिर के नव निर्माण का दायित्व सौंपा है। वह दिन रात राष्ट्र रूपी मंदिर को भव्यता देने में लगे हैं तथा उसके गौरव का विस्तार कर रहे हैं। इस निष्ठा के परिणाम भी उसी तेजी से मिल रहे हैं। आज भारत उस मुकाम पर है, जहां हम अनुसरण नहीं कर रहे हैं, उदाहरण पेश कर रहे हैं। आज पहली बार भारत को टेक्नोलॉजी और डिजिटल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में संभावनाओं के केंद्र के रूप में देखा जा रहा है। हमारी पहचान इनोवेशन हब के तौर पर हो रही है।
हम दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जैसे बड़े मुकाम पर पहुंचे हैं। चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव तक पहुंचने वाले पहले देश बने हैं। भारत में वन्देभारत और नमो भारत जैसी आधुनिक ट्रेनें चल रही हैं। भारत में बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी हो रही है। हाइटेक हाईवेज, एक्सप्रेसवेज का इतना बड़ा नेटवर्क और उसकी ताकत देश के पास है। भारत का नागरिक, चाहे वो दुनिया के किसी भी देश में हो, अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता है। देश में सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास के ज्वार को देखकर अद्भुत अनुभूति हो रही है। आज हमारी शक्ति अनंत है तथा अपार सम्भावनाएं हैं।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि राष्ट्र को सफल होने के लिए ऊर्जा सामूहिकता से मिलती है। हमारे वेद कहते हैं- ‘सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात्’ अर्थात्, निर्माण के लिए हजारों, लाखों, करोड़ों हाथ हैं। गतिमान होने के लिए हजारों, लाखों, करोड़ों पैर हैं। आज हमें भारत में उसी विराट चेतना के दर्शन हो रहे हैं। ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास’, इस भावना से हर देशवासी एक भाव तथा संकल्प से राष्ट्र के लिए काम कर रहा है।
आप पिछले 10 वर्षों में किए गए कार्यों का विस्तार देखिए। 04 करोड़ से ज्यादा लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत पक्के घर, 11 करोड़ परिवारों को शौचालय अर्थात इज्जतघर, 2.5 करोड़ परिवारों को घर में बिजली, 10 करोड़ से अधिक परिवारों को पानी के कनेक्शन, 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन, 10 करोड़ महिलाओं को कम कीमत पर गैस सिलेण्डर, 50 करोड़ लोगों को स्वस्थ जीवन के लिए आयुष्मान कार्ड, करीब 10 करोड़ किसानों को किसान सम्मान निधि, कोरोना काल में हर देशवासी को मुफ्त वैक्सीन, स्वच्छ भारत जैसा बड़ा अभियान, आज पूरी दुनिया में भारत के इन कामों की चर्चा हो रही है।इस स्केल पर इसलिए काम हो सके, क्योंकि सरकार के प्रयासों से देशवासियों का सामथ्र्य जुड़ गया। आज लोग सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए गरीबों की मदद कर रहे हैं। लोग शत-प्रतिशत सैचुरेशन अभियान का हिस्सा बन रहे हैं। गरीब की सेवा का यह भाव समाज को ‘नर में नारायण’ की प्रेरणा देने वाले हमारे आध्यात्मिक मूल्यों से मिली है। इसीलिए, देश ने ‘विकसित भारत का निर्माण’ और अपनी ‘विरासत पर गर्व’ के पंचप्राणों का आह्वान किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जब भी बड़े संकल्प लेता है, उसके मार्गदर्शन के लिए ईश्वरीय चेतना किसी न किसी रूप में हमारे बीच जरूर आती है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने ‘संभवामि युगे-युगे’ के रूप में इतना बड़ा आश्वासन दिया है। लेकिन, इस वचन के साथ ही वह हमें यह आदेश भी देते हैं कि-‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ अर्थात्, हमें फल की चिंता के बिना कर्तव्य भाव से कर्म करना है। भगवान् का यह वचन तथा निर्देश आज 140 करोड़ देशवासियों के लिए जीवन मंत्र की तरह है। अगले 25 वर्षों के इस कर्तव्यकाल में हमें परिश्रम की पराकाष्ठा करनी है। हमें निःस्वार्थ भाव से देश सेवा को सामने रखकर काम करना है। हमारे हर प्रयास में, हमारे हर काम से राष्ट्र को क्या लाभ होगा, ये प्रश्न हमारे मन में सबसे पहले आना चाहिए। यही प्रश्न राष्ट्र की सामूहिक चुनौतियों का समाधान पेश करेगा।
प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि, भगवान श्री कल्कि के आशीर्वाद से संकल्पों की यह यात्रा समय से पहले सिद्धि तक पहुंचेगी। हम सशक्त और समर्थ भारत के सपने को शत प्रतिशत पूरा होता देखेंगे।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों की ओर से प्रधानमंत्री का स्वागत एवं अभिनन्दन करते हुए कहा कि आज भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि भगवान की भावी भूमि सम्भल जनपद में श्री कल्कि धाम मन्दिर का शिलान्यास करने के लिए प्रधानमंत्री जी का आगमन हुआ है। महाभारत, श्रीमद्भागवत महापुराण, स्कंदपुराण, विष्णुपुराण जैसे भारत के अनेक शास्त्रों ने स्पष्ट कहा है कि कलियुग और सतयुग की संधि काल में तथा युगाब्द के अन्त में भगवान कल्कि का अवतार अवश्य होगा। इस धरा धाम में सनातन धर्म की पुनस्र्थापना का अधूरा कार्य इनकी कृपा से सम्पन्न होगा। अयोध्या धाम में प्रभु श्री रामलला को विराजमान कर प्रधानमंत्री ने इस कार्य की शुरुआत की है।
अयोध्या नगरी में 500 वर्षों की प्रतीक्षा के पश्चात भव्य मंदिर को बनाने एवं उसमें प्रभु श्रीरामलला को विराजमान करने तथा पहली बार संयुक्त अरब अमीरात के अबूधाबी में भगवान नारायण के भव्य मंदिर के भव्य उद्घाटन कार्यक्रम के उपरान्त प्रधानमंत्री का आगमन सम्भल जनपद में हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सभी ने विगत 10 वर्षों में नए भारत का दर्शन किया है। इस नए भारत में प्रत्येक नागरिक को सुरक्षा, राष्ट्र को समृद्धि के नए सोपान तक पहुंचाने का संकल्प, युवाओं की आजीविका की व्यवस्था तथा आस्था का सम्मान हो रहा है। काशी में काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का निर्माण, अयोध्या धाम में प्रभु श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा, केदारपुरी व बद्रीनाथ धाम के पुनरुद्धार का कार्य, महाकाल में महालोक की स्थापना आदि कार्य उस नए भारत की तस्वीर प्रस्तुत करते हैं, जिसमें आजीविका तथा आस्था की गारन्टी है। यही मोदी की गारन्टी है। भारत की आस्था से खिलवाड़ करने वाले न आजीविका दे पाए, न ही भारत की आस्था को सम्मान दे पाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि योग को वैश्विक मान्यता मिलने से भारत की विरासत वैश्विक मंच पर सम्मानित हुई है। 21 जून की तिथि को जब प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत में किसी स्थान पर करोड़ों भारतीय योग की विधा के साथ जुड़ते हैं, तो दुनिया के 200 से अधिक देश भारत की ऋषि परम्परा के इस प्रसाद के साथ जुड़ते हैं। यूनेस्को द्वारा प्रयागराज कुम्भ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। अबूधाबी में हिन्दू मन्दिर होने की कल्पना साकार हो चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में जो पहले असम्भव था, आज वह सम्भव तथा मुमकिन हुआ है। क्योंकि आज आपके पास एक यशस्वी नेतृत्व है, जो भारत को समझता है तथा अद्भुत नेतृत्व देने की क्षमता रखता है। यह यशस्वी नेतृत्व वैश्विक मंच पर भारत के सम्मान को बढ़ाता है। जब प्रधानमंत्री का सम्मान दुनिया के मंच पर होता है, तो हम सभी गौरवान्वित महसूस करते हैं। उन्हें पूरी दुनिया आशा भरी निगाहों से देख रही है। सीमाएं सुरक्षित हुई हैं तथा भारत में प्रत्येक तबके का व्यक्ति स्वयं को सुरक्षित महसूस कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जनपद सम्भल में खेती किसानी के साथ ही क्षेत्र के विकास तथा यहां की कारीगरी व हस्तशिल्प को आगे बढ़ाने का कार्य किया है। काॅमन फैसिलिटेशन सेंटर बनाकर बटन बनाने की परम्परागत व्यवस्था को नई तकनीक के साथ जोड़ा गया है। ‘एक जनपद एक उत्पाद योजना’ तथा ‘पी0एम0 विश्वकर्मा योजना’ के माध्यम से यह परम्परा वैश्विक मंच पर चीन को प्रतिस्पर्धा दे रही है। जनपद मुरादाबाद का ब्रास उत्पाद तथा अमरोहा की ढोलक नई पहचान के साथ आगे बढ़ रहे हैं। यह परम्पराएं पहले निराशा और हताशा से व्याप्त थीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नए भारत में गरीबों को मकान मिल रहा है तथा इंफ्रास्ट्रक्चर के बड़े-बड़े कार्य हो रहे हैं। सम्भल जनपद में गंगा एक्सप्रेस-वे पूरी मजबूती के साथ बन रहा है। यहां पर औद्योगिक क्लस्टर भी विकसित होने जा रहा है। डबल इंजन सरकार का प्रयास होगा कि वर्ष 2025 में प्रयागराज महाकुम्भ के समय गंगा एक्सप्रेस-वे से पश्चिमी उत्तर प्रदेश व देश के अन्य भागों से लोग प्रयागराज पहुंचें। प्रयागराज की दूरी न्यूनतम करने की दिशा में गंगा एक्सप्रेसवे के रूप में यह नया प्रयास किया रहा है। देश में अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर, जनपद मुरादाबाद में बहुत शीघ्र प्रारम्भ होने वाले एयरपोर्ट, हस्तशिल्पियों और कारीगरों के सम्मान, युवाओं के रोजगार, किसानों की आमदनी कई गुना बढ़ाकर उनके जीवन में परिवर्तन करना आदि सभी कार्य नए भारत की नई पहचान बन रहे हैं। यह प्रधानमंत्री के यशस्वी नेतृत्व के कारण सम्भव हुआ है।
कार्यक्रम को आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर जूना अखाड़ा के आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि, स्वामी कैलाशानन्द ब्रह्मचारी, सद्गुरु रितेश्वर सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।