उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज पुणे, महाराष्ट्र में स्वामी गोविन्द देव गिरिजी महाराज के जन्मोत्सव पर ‘श्री गीता भक्ति अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर उन्होंने स्वामी गोविन्द देव गिरिजी महाराज को भगवान गणेश की प्रतिमा भेंटकर सम्मानित किया। इसके पूर्व, मुख्यमंत्री ने ज्ञानेश्वर महाराज संजीवन समाधि मन्दिर में पूजा-अर्चना की। उन्होंने रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे। रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः!! श्लोक से प्रारम्भ कर कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की सेनाओं को और अधिक सशक्त बनाने के लिए उत्तर प्रदेश में डिफेंस कॉरिडोर की घोषणा की। यह डिफेंस कॉरिडोर छत्रपति शिवाजी महाराज को समर्पित है। प्रदेश में शक्तियां जुड़ रही हैं तथा पूज्य संतों के माध्यम से भक्ति का प्रवाह हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भक्ति तथा शक्ति के अद्भुत संगम के परिणामस्वरूप अयोध्या नगरी में पूज्य संतों के सान्निध्य में प्रधानमंत्री जी के पुरुषार्थ से उनके कर-कमलों द्वारा 500 वर्षों की लम्बी प्रतीक्षा के पश्चात 22 जनवरी, 2024 को प्रभु श्री रामलला स्वयं के दिव्य और भव्य मंदिर में विराजमान हुए। हम सभी को यह अलौकिक क्षण देखने को प्राप्त हुआ। मुख्यमंत्री ने महोत्सव में उपस्थित महानुभावों को अयोध्या आगमन के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि दिव्य, भव्य और नव्य अयोध्या आप सभी को आमंत्रित कर रही है। स्वामी गोविन्द देव गिरिजी महाराज के जन्मोत्सव पर श्री गीता भक्ति अमृत महोत्सव पूरी भव्यता तथा दिव्यता के साथ आयोजित किया जा रहा है। यह महोत्सव विगत 75 वर्षों से वैदिक सनातन धर्म के लिए अपने पुरुषार्थ, साधना व परिश्रम से कार्य करने वाले स्वामी जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का सुअवसर है। इन्होंने सनातन वैदिक धर्म के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी जी ने श्रीमद् भगवद गीता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए देश और दुनिया में वैदिक पाठशालाओं की स्थापना की। देश को वेदों का मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए लम्बी वेदपाठी परम्परा चलाई। जो कार्य मध्य काल में समर्थ गुरु रामदास जी महाराज ने छत्रपति शिवाजी महाराज का मार्गदर्शन करके किया था, वह कार्य देश और दुनिया में स्वामी जी के सान्निध्य में किया जा रहा है। स्वामी जी का सान्निध्य तथा मार्गदर्शन सनातन धर्मावलम्बियों को लम्बे समय तक प्राप्त होता रहे तथा सनातन धर्म की पताका अनन्तकाल तक लहराती रहे, ऐसी भगवान ज्ञानेश्वर जी महाराज से प्रार्थना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह स्वयं गुरु परम्परा के अनुसार सनातन धर्म के लिए समर्पण भाव से कार्य करते हैं। यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें इस अद्भुत महोत्सव में आलन्दी आने तथा भगवान ज्ञानेश्वर जी महाराज की परम्परा को प्रणाम करने अवसर प्राप्त हुआ। हमारी परम्पराएं आपस में मिलती हैं। पूज्य स्वामी गोविन्द देव गिरिजी महाराज ने इन परम्पराओं को जोड़ने का कार्य किया है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उन्होंने बचपन में ज्ञानेश्वरी का अध्ययन किया था। तभी से भगवान ज्ञानेश्वर जी महाराज को जानने की प्रबल इच्छा थी, जिन्होंने मात्र 15 वर्ष की उम्र में ज्ञानेश्वरी का उपदेश देकर भक्तों को नई राह दिखाई तथा 21 वर्ष की उम्र में सजीव समाधि लेकर भारत के अध्यात्म को सम्पूर्ण भूमण्डल पर अलंकृत किया। ऐसे दिव्य संतों का सान्निध्य प्राप्त करने की सदैव अभिलाषा रही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र के नागरिक सौभाग्यशाली हैं कि महाराष्ट्र के एक ही परिवार में चार-चार सिद्ध संतों का उदय हुआ। भक्ति से उपजी शक्ति ही सदैव दुश्मनों के दांत खट्टे करती रही है। समर्थ गुरु रामदास जी का सान्निध्य प्राप्त करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे वीर योद्धा ने यहां की धरती पर जन्म लिया। शिवाजी महाराज ने पूरे देश में अपने तेज का प्रसार किया। उस कालखण्ड में उन्होंने औरंगजेब की सत्ता को चुनौती देते हुए उसे धराशाई कर दिया था। यह अद्भुत शौर्य और पराक्रम की धरती इसलिए है, क्योंकि वीर योद्धाओं को पूज्य संतों का सान्निध्य प्राप्त हुआ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां के भक्तों ने अपने पूज्य संतों के सम्मान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। इसी का परिणाम है कि शक्ति उनके साथ-साथ चलती है। भक्ति और शक्ति के संगम का अद्भुत उदाहरण छत्रपति शिवाजी महाराज के रूप में हम सभी के सामने है। उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद में स्थित मुगल म्यूजियम का नामकरण छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर किया गया है। इस म्यूजियम में उनकी स्मृतियों को सजाने संवारने का कार्य पूरी भव्यता के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है।
कार्यक्रम को स्वामी गोविन्द देव गिरिजी महाराज ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर शंकराचार्य श्री विजयेन्द्र सरस्वती, योग ऋषि स्वामी रामदेव जी, जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द जी महाराज, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, स्वामी राजेन्द्र दास जी महाराज, स्वामी रमेश भाई ओझा, साध्वी भगवती देवी, उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, महाराष्ट्र सरकार के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकान्त पाटिल सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।