कत्ले हुसैन असल में मरगे यज़ीद है इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद।

 

आदर्श उजाला / संवाददाता मोहम्मद इसराईल शाह।

बलरामपुर। उतरौला मोहर्रम का चांद देखते ही पहले अशरा में मजलिसों का सिलसिला शुरू हो गया।
नबी स0 के निवासे हजरत इमाम हुसैन की सवारे उमरी पर वाकयाते कर्बला में ऐसा खाका खींचा की मजलिस में सुनने वाले हजरात के आंखों में आंसुओं का सैलाब आ गया। अपने-अपने आंसुओं को रोक नहीं पाते थे।

*शहादत हजरत अली अकबर की*
मौलाना सैयद सिपते हैदर मजलिस को किताब कर रहे थे। हजरत अली अकबर के सवाने उमरी पर रोशनी डालते हुए कहा कि कर्बला के मैदान में हजरत अली अकबर ने हज़रत इमाम हुसैन से इजाजत मांगी कि आपके नूरे नजर शबीए पैगंबर हजरत अली अकबर रज़ी0 खड़े हैं। और मैदाने जंग में जाने की इजाजत तलब कर रहे हैं। आपने मोहब्बत भरी निगाह अपनी फरजिंदा रहमत बंद पर डाली। और फरमाया बेटा मैं तुम्हें किस बात का इजाजत दूं। क्या तीरों से छलनी होने और तलवारों से कटने की इजाजत दूं। क्या मैं तुमको खाक व खून में गलता होने की इजाजत दू।
बेटा तुम न जाओ मैं जाता हूं। ऐ लोगो यजीद मेरे खून के प्यासे हैं। मुझे शहीद करने के बाद फिर किसी से ताअर्रिज न करेंगे। मजलिस को किताब करते-करते यादें हुसैन में सभी हजरात अपने-अपने आंसुओं को रोक नहीं पाते थे। मजलिस का दौर उतरौला के 25 अजाखानो में मजलिस का सिलसिला जारी है। मोहल्ला रफी नगर ,उत्तर मोहल्ला ,बूढ़ी दैय्या , गैडास बुजुर्ग ,रैगावा इत्यादि जगहों पर मजलिस का सिलसिला जारी है। मजलिस को किताब करने के लिए मौलाना सैयद अख्तर हुसैन ,मौलाना मोहम्मद अली ,मौलाना फिदा हुसैन ,मौलाना शमश तबरेज का किताब जारी है।

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