उत्तर प्रदेश राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव पी गुरु प्रसाद ने कहा हीट वेव के चलते कर सकते हैं विद्यालय संचालन के समय में परिवर्तन

 

एसी में रहने वाले भी जब गर्मी से हैं परेशान, फिर छात्रों और शिक्षकों को गर्मी और लू से कितनी हो रही होगी दिक़्क़त

तमाम शिक्षक नेताओं द्वारा भी कई बार की जा चुकी है प्रातः सात बजे से बारह बजे तक विद्यालयों के संचालन हेतु मांग

बिजली के नहीं रहने पर बिना पंखों के किस तरह विद्यालयों में रहते होगें भीषण गर्मी में यह छोटे-छोटे बच्चे और शिक्षक

 

बाराबंकी। ( ) जहां एक ओर सरकारी तंत्र द्वारा भीषण गर्मी और तेज़ लू से बचाव के तमाम टिप्स दिए जा रहे हैं। गर्मी का यह हाल है कि एसी में रहने वाले भी गर्मी से हो रहे हैं परेशान। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ने और पढ़ाने वाले परिषदीय विद्यालयों के बच्चों तथा शिक्षकों को आज भी तेज़ धूप और गर्म हवाओं के थपेड़ों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना के समय विद्यालय बंद रहने पर कम पढ़ाई होने की भरपाई करने के लिए घर बैठे बच्चों को शिक्षकों द्वारा आठ बजे से दो बजे तक ऑनलाइन पढ़ाने के आदेश किए गए थे। जबकि कोरोना काल समाप्त होने के बाद पुनः विद्यालयों का संचालन पूर्व की भांति सात बजे से बारह तक या आठ बजे से एक बजे तक ना होकर आठ बजे से दो बजे तक ही रखा गया।
शिक्षकों को यह उम्मीद थी जल्द ही पूर्व की भांति सात बजे से बारह बजे तक का समय किए जाने का आदेश आ जाएगा।तब से आज तक परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों और बच्चों को अन्य सभी बोर्डों की तुलना में सबसे अधिक समय देना पड़ रहा है। जबकि माध्यमिक विद्यालयों सहित अन्य तमाम निजी विद्यालयों में शिक्षण समय ठंडक में नौ बजे से दो बजे तक तथा गर्मियों में प्रातः सात बजे से बारह बजे तक ही है।जबकि यह भी सभी भलीभांति जानते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालय के समय में कितने-कितने घंटे बिजली गोल रहती है, और कितनी देर बच्चों को पंखे की हवा मिल पाती है। हालांकि इस बाबत डॉक्टर राकेश सिंह,पवन वर्मा,अभिषेक सिंह,अरुणेंद्र वर्मा, एख़लाक़ अहमद,आशुतोष कुमार,साक़िब किदवई,एम आई नादिम,अशोक सिंह सहित तमाम शिक्षक नेताओं का कहना है कि कोरोना काल समाप्त होने के बाद से अब तक ज़िला स्तर से लेकर शासन स्तर तक विद्यालय का समय पहले जैसा सात बजे से बारह बजे तक किए जाने के लिए सैकड़ों बार मांग पत्र सौंप कर गुहार लगाई जा चुकी है, फिर भी अब तक कोरोना काल से पूर्व विद्यालय संचालन का समय नहीं किया जा सका,जो छात्रों और शिक्षकों के हित में नहीं है।

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