आज19 अक्टूबर 2024 जनपद में शरदकालीन गन्ना बुआई प्रगति पर है। शरदकालीन बुवाई में गन्ने की बढ़वार व पकने के लिए अधिक समय मिलने से 15 प्रतिशत से 25 प्रतिशत अधिक उपज मिलती

खबर जिला पीलीभीत से

आज19 अक्टूबर 2024 जनपद में शरदकालीन गन्ना बुआई प्रगति पर है। शरदकालीन बुवाई में गन्ने की बढ़वार व पकने के लिए अधिक समय मिलने से 15 प्रतिशत से 25 प्रतिशत अधिक उपज मिलती है तथा चीनी परता भी अधिक प्राप्त होता है। किसान भाइयों से अनुरोध है कि परंपरागत गन्ना खेती से हटकर, सिंगल बड या सीडलिंग की ट्रेंच विधि से 4-5 फीट की दूरी पर गन्ना बुवाई को अपनायें।
गन्ने में लाल सड़न रोग के प्रभावी नियंत्रण हेतु गन्ना किस्म को. 0238 व को.स. 8436 की बुवाई कदापि न करें। प्रदेश के लिए अवमुक्त नवीन गन्ना किस्मों की ही बुआई करें। लाल सड़न रोग रोधी गन्ना किस्मों जैसे को. लख. 14201, को. शा. 13235, को. शा. 17231, को. लख. 16202, को. 15023, को.0118 आदि के बीज का चयन करें। किसी एक किस्म के मोनोकल्चर के स्थान पर कम से कम 3- 4 किस्मों की बुआई कर प्रजातीय संतुलन बनायें।
कृषक भाइयों को सचेत रहना है कि वैज्ञानिकों द्वारा प्रदेश के लिए अवमुक्त नहीं होने वाली लाल सड़न रोग से ग्राही गन्ना किस्मों यथा- को. 11015, को. पी.बी.95 आदि गन्ना किस्मों को प्रदेश में बुआई हेतु कदापि न अपनायें।
गन्ना बीज क्रय हेतु पंजीकृत कृषकों से ही बीज खरीदें। स्वस्थ व रोग रहित खेत प्लाट से ही बीज का चुनाव करें। लाल सड़न रोग बीज व मृदा दोनों से ही फैलता है, इससे बचाव हेतु बुआई से पूर्व बीज का शोधन अवश्य करें। गन्ने के बीजों का उपचार करने के लिये निम्न तरीके अपनाए जा सकते हैं-गर्म जल उपचार बीजों को 52 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 30 मिनट के लिए गर्म करें। कार्बेन्डाजिम उपचाररू 112 ग्राम कार्बेन्डाजिम को 112 लीटर पानी में घोलकर, गन्ने के टुकड़ों को 5 से 10 मिनट के लिए डुबोयें। क्लोरोपायरीफास उपचार 20 प्रतिशत ईसी क्लोरोपायरफास को 3 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर, गन्ने के टुकड़ों को 15-20 मिनट के लिये डुबोएं। एजोस्पिरिलम उपचार पर्याप्त पानी के साथ एजोस्पिरिलम इनोकुलम के 10 पैकेट 2000 ग्राम हेक्टेयर का घोल तैयार करें और रोपण से पहले सेट को 15 मिनट के लिए घोल में भिगो दें।
गन्ने के बीजों का उपचार करने से कई फायदे होते हैं, जैसे कि बीजों के उपचार से रोगों और कीटों के प्रसार को रोका जा सकता है। इससे पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और पौधों को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होता है।पौधों की उत्पादकता और उत्पादन बढ़ता है।

ब्यूरो मोहम्मद तौसीर
आदर्श उजाला न्यूज़
पीलीभीत से

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