कम्पोजिट विघालय विशुनपुर खरहना के प्रधानाध्यापक को नहीं है खौफ योगी सरकार का बच्चों में बंटने वाले फल चढ़ गया भ्रष्टाचार की भेंट

जानमोहम्मद ब्योरो चीफ आर्दश उजाला जिला बलरामपुर
बलरामपुर -विकास खण्ड रेहरा बजार के ग्राम सभा विशुनपुर खरहना के कम्पोजिट विधालय में ग्रामीण द्वारा 11 सितम्बर 2024 को बनायें गये वीडियो हो रहा है वायरल इस वीडियो में बच्चें खुद बता रहें हैं कि मीनू के हिसाब से बच्चों को दूध व फल नहीं मिलता सूत्र एवं गांव के ही लोग और बच्चों से पता चला है कभी कभी दूध मिलता है लेकिन वो दूध अमूल का एक लीटर डिब्बे वाला होता है और उसमें पानी मिलाकर बच्चों में बांटा जाता है हम खुद सोच सकते हैं उस दूध की क्वालिटी क्या होगी।फल की बात पुछने पर पता चला है फल की क्वालिटी बहुत ही घटिया होती है कुछ बच्चे तो उसे फेंक भी देते हैं।
आइये जानते हैं मध्याह्न भोजन योजना क्या है
मध्याह्न भोजन योजना का उद्देश्य : इस योजना का मूल उद्देश्य सरकारी तथा सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में नामांकित कक्षा I-VIII तक के प्रत्येक बच्चों को प्रतिदिन गुणवत्तापूर्ण तैयार मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराना तथा उन्हें कुपोषण से मुक्त रखना है।
मध्याह्न भोजन के तीन लाभ
1- इससे कई बच्चों की भूख मिटती है
2-गरीब बच्चों को पौष्टिक भोजन मिलता है जिससे उन्हें पढ़ाई पर बेहतर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है। 3-छात्र रोजाना सरकारी स्कूलों में आते हैं और उनसे मजदूरी नहीं करवाई जाती।
मध्यान भोजन की राशि कितनी होती है
मध्याह्न भोजन योजना का नवीनीकरण
इसकी 75 रुपये प्रति किवंटल की मौजूदा सीमा को बढाकर 150 रूपया प्रति किवंटल की गयी है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के साथ समन्वय के उद्देश्य से सभी राज्यों के शिक्षा विभागों को अवगत किया है।
स्कूल में मध्याह्न भोजन योजना का उद्देश्य क्या है
स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति व पोषण की स्थिति को सुधारना है। पढ़ाई को बीच में छोड़ देने वाले बच्चों की संख्या में कमी लाना है। विभिन्न वर्गों और जातियों के बच्चों द्वारा एक साथ इकट्ठा खाना खाने से समानता की भावना को विकसित करना व जाति-पाति के भेदभाव को दूर करना है।
स्कूल में मिड-डे मील और दूध देने से क्या फायदा
भारत में, मिड डे मील योजना प्राथमिक विद्यालय के छात्रों को मुफ़्त भोजन प्रदान करती है। इसका उद्देश्य स्कूल में उपस्थिति बढ़ाना, कक्षा में भूख को कम करना और छात्रों के समग्र स्वास्थ्य और पोषण में सुधार करना है।

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