जिलाधिकारी ने पराली न जलाने हेतु प्रचार वाहन को हरी झण्डी दिखाकर किया रवाना

 

किसान न जलायें पराली जैविक खाद, पशु चारे के रूप में करें प्रयोग।

राष्ट्रीय हिंदी आदर्श उजाला से संवाददाता रईस अजीम पीलीभीत से

 

पीलीभीत एन0जी0टी0 के शासनादेश सं0-1618/एक-9-2017-रा-9, दिनॉक 13 नवम्बर 2017 के अनुपालन मंे जनपद के समस्त कृषकगणों को अवगत/सूचित करना है कि फसल अवशेष प्रबन्धन एवं फसल अवशेष नहीं जलाने के सम्बन्ध मंे किसानों को जागरूक करने एवं फसल अवशेष जलाये जाने से हो रहे प्रदूषण की रोकथाम हेतु निम्नवत् व्यवस्था की गयी है।
कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ यथा सम्भव सुपर एस0एम0एस0 का प्रयोग किया जाये जिससे पराली प्रबन्धन कटाई के समय ही हो जाये। सुपर एस0एम0एस0 के विकल्प के रूप मंे अन्य फसल अवशेष प्रबन्धन के यन्त्र जैसे-स्ट्रारीपर, स्ट्रारेक व बेलर, मल्चर, पैडी स्ट्राचापर, श्रबमास्टर, रोटरी स्लेशर, रिवर्सिबुल एम0बी0 प्लाऊ का भी प्रयोग कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ किया जाये, जिससे खेत मंे फसल अवशेष बण्डल बनाकर अन्य उपयोग मंे लाया जा सके अथवा काटकर मिट्टी मंे मिलाया जा सके। कम्बाईन हार्वेस्टर के संचालक की जिम्मेदारी होगी कि कटाई के दौरान उपरोक्त समस्त व्यवस्था स्वयं सुनिश्चित कराते हुए कटाई का कार्य करेंगे। यदि कम्बाईन स्वामी द्वारा बिना फसल अवशेष प्रबन्धन के यन्त्रो यथा एस0एम0एस0, स्ट्रारेक आदि का उपयोग किये बिना कम्बाइन का प्रयोग किया जाता है, तो उस पर नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी। यदि कोई किसान बिना पराली को हटाये रबी की बुवाई के समय जीरो टिल सीड कम फर्टी ड्रिल, हैपीसीडर या सुपर सीडर का प्रयोग कर सीधे बुवाई करना चाहता है या फिर डिकम्पोजर का प्रयोग कर पराली का प्रबन्धन करना चाहता है तो ऐसे किसान अनिवार्य रूप से इस आशय का घोषणा पत्र सम्बन्धित उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी को देंगे, कि उसके द्वारा पराली नही जलायी जायेगी, अपितु रबी की बुवाई के समय उक्त यन्त्रो/डिकम्पोजर का प्रयोग किया जायेगा। जनपद के समस्त कृषक बंधुओ से अनुरोध है कि फसल अवशेष को न जलाये तथा अपनी मृदा स्वास्थ्य को बेहतर बनाये। पराली प्रबन्धन किये जाने हेतु अधिक से अधिक पराली को मिट्टी मंे मिलाकर कम्पोस्ट खाद बनाकर, गौशालाओं/गौसेवकों को उपलब्ध करा सकते है। वर्ष 2023 मंे पराली जलाने पर जनपद के कुल 75 कृषकों से रू0 210000 (रू0 दो लाख दस हजार) अर्थदण्ड वसूला गया है। वर्ष 2024 मंे पराली जलाने पर जनपद के कुल 18 कृषकों से रू0 72500 (रू0 बहात्तर हजार पॉच सौ) अर्थदण्ड वसूला गया है।
यदि पराली जलाने की घटना प्रकाश मंे आती है तो पर्यावरण क्षति हेतु अर्थदण्ड का प्रावधान निम्नवत् है-02 एकड़ से कम क्षेत्र के लिए रू0 5000/- प्रति घटना। 02 एकड़ से 05 एकड़ क्षेत्र के लिए रू0 10000/- प्रति घटना। 05 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए रू0 30000/- प्रति घटना।
उप कृषि निदेशक, पीलीभीत कार्यालय मंे स्थापित पराली नियंत्रण कक्ष मंे दूरभाष सं0 7906027761 श्री तेजपाल (आवंटित सदर एवं अमरिया तहसील), 9568804170 कुलवंत सिंह, 8601017510 नूतन कुमार (आवंटित पूरनपुर एवं कलीनगर तहसील) एवं 9721667979 श्री नन्द किशोर (आवंटित बीसलपुर तहसील ) से सम्पर्क कर पराली जलाने की सूचना दे सकते है।
जिलाधिकारी ज्ञानेन्द्र सिंह ने पराली न जलाने हेतु प्रचार वाहन को हरी झण्डी दिखाकार गॉधी सभागार से रवाना किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रचार वाहन के माध्यम से किसानों को पराली न जलाने हेतु जागरूक किया जाए। इस दौरान उन्होंने कहा कि किसान भाई पराली को खेतों में गलाकर जैविक खाद के रूप में प्रयोग करे जिससे कि कृषि भूमि की उर्वरकता शक्ति बनी रहे तथा पराली को पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग करें। इस दौरान उप कृषि निदेशक, इजीं0 कौशल किशोर, उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी सदर, अवर अभियन्ता अनिल कुमार एवं अन्य उपस्थित रहे।

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